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शिक्षा

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने “इंडस्ट्री–अकादमिक सहयोग द्वारा कौशल विकास” विषय पर नॉलेज सेशन आयोजित किया

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने “इंडस्ट्री–अकादमिक सहयोग द्वारा कौशल विकास” विषय पर नॉलेज सेशन आयोजित किया

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने रविवार, 28 सितम्बर को इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा में “इंडस्ट्री–अकादमिक सहयोग द्वारा कौशल विकास” विषय पर एक विशेष नॉलेज सेशन का आयोजन किया। जिसकी अध्यक्षता गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोo राणा प्रताप सिंह ने की | इस सत्र में शिक्षा और उद्योग जगत के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने भाग लिया और शिक्षा तथा रोजगारोन्मुखी कौशल के बीच की खाई को पाटने के उपायों पर अपने विचार साझा किए।
मुख्य व्याख्यानों को विशिष्ट वक्ताओं ने प्रस्तुत किया जिनमें शामिल थे डॉ. मयंक द्विवेदी, डीजी (एचआर), डीआरडीओ; प्रो. एस. धनलक्ष्मी, डीन, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, जीबीयू; श्री संतोष राय, हेड एचआर, लार्सन एंड टुब्रो; प्रो. विजय कुमार झा, मुख्य परिचालन अधिकारी, ड्रोन वैन प्रा. लि.; और डॉ. आंद्रे वी. चिस्तोख्वालोव, सिनर्जी कॉर्पोरेशन, रूस।
व्याख्यान सत्र के बाद कुलपति प्रो. सिंह की अध्यक्षता में एक पैनल चर्चा आयोजित किया गया । इस पैनल में प्रमुख विशेषज्ञों के रूप में डॉ. वी. सेल्वमूर्ति, अध्यक्ष, एमिटी साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फाउंडेशन; प्रो. राजीव वर्श्नेय, डीन अकादमिक्स, जीबीयू; और डॉ. आशीष गुप्ता, शिव नादर यूनिवर्सिटी ने भाग लिया।
अपने स्वागत संबोधन में प्रो. राणा प्रताप सिंह ने उद्योग की मांग और अकादमिक आपूर्ति के बीच बढ़ती खाई पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि वर्तमान में केवल लगभग चालीस प्रतिशत स्नातक ही रोजगार योग्य हैं। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों से इस अंतर को पाटने के लिए सक्रिय पहल करने का आह्वान किया।
डॉ. मयंक द्विवेदी ने एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे उद्योग और अकादमिक जगत प्रभावी ढंग से साथ काम कर सकें। उन्होंने कहा कि यही सहयोग भारत को आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग है।
प्रो. धनलक्ष्मी ने जीबीयू के विभिन्न स्कूलों का परिचय दिया और फार्मास्यूटिकल क्षेत्र को एक ऐसा क्षेत्र बताया जहां उद्योग और अकादमिक के बीच समन्वय अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने समझाया कि जहां उद्योग का ध्यान ट्रांसलेशनल बायोलॉजी और इंस्ट्रूमेंटेशन पर है, वहीं अकादमिक क्षेत्र मुख्य रूप से मेडिसिनल केमिस्ट्री और ड्रग मेटाबॉलिज्म पर केंद्रित है। उन्होंने उल्लेख किया कि जीबीयू इन दोनों क्षेत्रों को जोड़ने की दिशा में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।
श्री संतोष राय ने अपने वक्तव्य में चार आर सिद्धांत अर्थात् प्रासंगिकता, तत्परता, पहुँच और परिणाम पर जोर दिया।
प्रो. विजय झा ने कहा कि ड्रोन उद्योग अब भविष्य की बात नहीं रहा, बल्कि वर्तमान की उभरती वास्तविकता है। उन्होंने बताया कि वैश्विक ड्रोन बाजार वर्ष 2030 तक 54 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जबकि भारतीय ड्रोन बाजार भी इसी अवधि में दो लाख करोड़ रुपये तक पहुँचने की संभावना रखता है।
डॉ. आंद्रे वी. चिस्तोख्वालोव ने भारत और रूस के बीच संभावित सहयोग की बात की और उद्योगों की साझा आवश्यकताओं तथा अवसरों पर प्रकाश डाला।
पैनल चर्चा का मुख्य केंद्र कौशल विकास के तीन स्तर रहे – उच्च शिक्षा, तकनीशियन प्रशिक्षण और विनिर्माण।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश पुलिस से सुश्री मीनाक्षी सिंह की उपस्थिति ने सत्र की गरिमा को और बढ़ाया।
कार्यक्रम का समापन जीबीयू की डीन, रिसर्च एंड प्लानिंग, डॉ. इंदु उप्रेती के औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में प्रo बंदना पांडे (डीन), डॉ शोभा राम, डॉ ओमवीय सिंह, डॉ बिपाशा शोम सहित कई संकाय सदस्यों और छात्रों ने इस सत्र में सक्रिय भागीदारी की। यह आयोजन उनके शैक्षणिक और व्यावसायिक विकास के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ।

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