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व्यक्ति, समाज, प्रकृति और परमेश्वर की समग्र एकात्मकता को पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद के रूप में स्थापित किया है : डॉ. महेश चंद्र शर्मा

व्यक्ति, समाज, प्रकृति और परमेश्वर की समग्र एकात्मकता को पंडित दीन दयाल
उपाध्याय ने एकात्म मानववाद के रूप में स्थापित किया है : डॉ. महेश चंद्र शर्मा
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में पंडित दीन दयाल उपाध्याय के दर्शन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का शुभारंभ
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं मीडिया अध्ययन विभाग और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व राज्यसभा सांसद, मंत्री एवं एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एव विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद में एकात्मकता का अर्थ है जो कि खंडित न हो, यानी जो भी ब्रह्मांड के तत्व हैं वो सभी तत्व मानव में समाहित है। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में डॉ. शर्मा ने इस विद्वत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति, समाज, प्रकृति और परमेश्वर की समग्र एकात्मकता को पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद के रूप स्थापित किया है।
इस अवसर पर गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. विश्वास त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि समाज की समस्याओं का समाधान एकात्म मानववाद में निहित है। इसमें संघर्ष की नहीं, बल्कि समन्वय की बात होती है। उन्होंने “ह्यूमन डेवलपमेंट एंड हैप्पीनेस इंडेक्स” का भी उल्लेख किया।
भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के सचिव प्रो. सच्चिदानंद मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय के अनुसार सभी मानवों में एक ही आत्मा विद्यमान है क्योंकि मानव न सिर्फ व्यक्ति है और न ही सिर्फ समाज, बल्कि वह एक समग्र मानव है जिसमें सभी तत्व समाहित हैं।
इस अवसर पर मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता और जनसंचार एवं मीडिया अध्ययन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. वंदना पाण्डेय ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी एक ऐसे उत्कृष्ट मानवतावादी चिंतक रहे हैं जिनकी दूरदृष्टि को आधार बनाकर देश की केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू की है। उन्होंने आगे कहा कि उपाध्याय जी के अनुसार हर व्यक्ति, जाति और धर्म से ऊपर आत्मा के स्तर पर एक समान है।
इस संगोष्ठी के प्रथम और द्वितीय सत्र की अध्यक्षता, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. रवीन्द्रनाथ मनुकोंडा एवं भारतीय जनसंचार संस्थान के प्रो. गोविंद सिह ने किया। इस अवसर पर प्रो. प्रशांत कुमार, डॉ. स्मिता मिश्रा एव श्री आशुतोष भटनागर, वैचारिक विमर्श के इस प्रतिस्थित मंच पर वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
संगोष्ठी के प्रथम दिवस के उद्घाटन समारोह में जनसंचार एवं मीडिया अध्ययन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विनीत कुमार ने इस वैचारिक संगोष्ठी को सफल बनाने के लिए सभागार में उपस्थित समस्त लोगों का आभार व्यक्त किया। अंग्रेजी विभाग की डॉ. मंजरी सुमन एवं डॉ. विपासा सोम ने मंच का सफलतापूर्वक संचालन कर कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस कार्यक्रम के आयोजन समिति में जनसंचार एवं मीडिया अध्ययन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विमलेश कुमार, डॉ. कुमार प्रियतम, डॉ. प्रतिमा एवं मिस करुणा सिंह के साथ मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के अलग-अलग विभागों के विभागाध्यक्ष और असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल थे । इस अवसर पर अलग-अलग राज्यों से आए प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर, शोधार्थी एवं विद्यार्थी ने इस सेमीनार के प्रथम दिवस के इस शोध विमर्श के सहभागी बने ।

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