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*जीबीयू में द्विदिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन* गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में स्थित इण्टरनेशनल कन्वेशन सेण्टर में 27 सितम्बर 2024 को द्विदिवसीय

*जीबीयू में द्विदिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन*

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय
में स्थित इण्टरनेशनल कन्वेशन सेण्टर में 27 सितम्बर 2024 को द्विदिवसीय
संगोष्ठी का उद्घाटन सत्र सम्पन्न हुआ। जीबीयू के मानविकी एवं सामाजिक
विज्ञान संकाय के डॉ अम्बेडकर सेण्टर फॉर दि स्टडी आफ ह्यूमैन राइट्स
के अध्यक्ष डॉ पंकज दीप द्वारा ‘आधुनिक भारत के निर्माण में डॉ अम्बेडकर का योगदानः प्रभाव एवं इसकी वर्तमान प्रासंगिकता’ नामक विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजित की गई। मुख्य अतिथि एवं यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष
प्रो. सुखदेव थोराट ने भारतीय राजनीति में बोधिसत्व डाॅ. भीमराव अम्बेडकर
की बहुआयामी भूमिका को विस्तार से अभिव्यक्त किया। उनके द्वारा राष्ट्र
निर्माण एवं सम्पूर्ण भारतीय समाज के कल्याणार्थ उठाए गए सामाजिक,
शैक्षणिक एवं आर्थिक प्रयासों की भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा
कि समाज में एकता की स्थापना के द्वारा ही एक आदर्श राष्ट्र का निर्माण
सम्भव है न कि एक भाषा, एक राज, एक क्षेत्र के द्वारा। स्वस्थ समाज एवं
आदर्श राष्ट्र की स्थापना में प्रजातान्त्रिक मूल्य अहम् भूमिका निभाते
हैं। जी.बी.यू. के माननीय कुलपति प्रो. आर.के. सिन्हा ने मुख्य अतिथि
प्रो. सुखदेव थोराट का स्वागत किया तथा उनके वक्तव्य की प्रशंसा करते हुए
भारतीय संविधान के शिल्पकार डाॅ. भीमराव अम्बेडकर की प्रासंगिकता पर
प्रकाश डाला। बौद्ध अध्ययन विभाग में अध्ययनरत् विदेशी बौद्ध भिक्षु एवं
भिक्षुणियों द्वारा बुद्ध वन्दना एवं परित्तपाठ के साथ ही कार्यक्रम की
विधिवत् शुरूआत हुई। अतिथियों द्वारा बुद्धमूति के समक्ष पुष्पार्पण एवं
दीप प्रज्ज्वलन किया गया। संकाय की डीन प्रो. बन्दना पाण्डेय ने स्वागत
भाषण दिया। डाॅ. बिपासा सोम ने अपने सम्बोधन में संगोष्ठी के बीज-वक्तव्य
को रखा। संगोष्ठी के संयोजक डाॅ. पंकज दीप ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में
कुलसचिव डाॅ. विश्वास त्रिपाठी, वित्त अधिकारी श्री नीरज कुमार सहित
विश्वविद्यालय प्रशासन, अतिथियों, प्रतिभागियों एवं छात्र-छात्रों के
प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त की। डाॅ. विभावरी एवं डाॅ. मंजरी सुमन ने
उद्घाटन सत्र का सफल संचालन किया। इसमें देश-विदेश के 100 से अधिक
प्रतिभागियों, शोधार्थियों एवं विद्वानों ने भाग लिया, जिसमें विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों, कर्मचारियों, छात्र-छात्राएँ भी शामिल
थे।

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